RKBS

Add To collaction

लेखनी प्रतियोगिता -03-Feb-2022

          आकाल

कैसी विडंबना है आई 
देखो चारों ओर भुखमरी छाई। 
देखो हो रही इतनी तबाही, 
फिर भी निर्लज्ज मानव 
तुझे जरा शर्म ना आई। 
करता ही रहा तू अपने 
स्वार्थ की भरपाई, 
अब ठीक है ना 
कुछ लोभीयों के 
कारण हर कोई 
भुगत रहा ये तबाही। 
इतनी सुन्दर धरा 
को तूने कर डाला है 
बंजर चला चला के डंपर। 
देख कुदरत ने करदी 
इस बार तेरे ही लिए 
आकाल की तैयारी। 


   17
1 Comments

Swati chourasia

03-Feb-2022 05:33 PM

Very nice 👌

Reply